Featureछत्तीसगढ़

बच्चों ने आयोग के समक्ष अपने पिता से कहा कि पापा शराब पीना छोड़ दो 

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया, ओजस्वी मण्डावी एवं दीपिका शोरी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 306 वी. सुनवाई हुई। रायपुर जिले में 148 वी. जनसुनवाई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसका 2021 में विवाह के बाद महज 4 माह अपने ससुराल में रही। मारपीट व दुर्व्यवहार के बाद से आवेदिका अलग रह रही है। दोनो पक्षों ने तलाक नहीं लिया है परंतु दोनो ने दुसरा विवाह कर लिया है। पूर्व में आवेदिका को उसके दहेज का सामान आयोग की काउंसलर की मदद से दिलाया जा चुका है। आज की सुनवाई में आवेदिका के सोने-चांदी के गहने, लगभग दो लाख रू. वापस दिलाये गये व शादी के वक्त दिये गये बर्तन व उपहार के एवज में 10 हजार रू. आयोग के समक्ष अनावेदक द्वारा दिया गया। आयोग के द्वारा दोनो पक्षों को आपसी सहमति से तलाक लिये जाने की समझाईश दी गई। ताकि उनके विवाह में दिक्कत ना हो। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसकी पुत्री 19 वर्ष की थी, जिसका विवाह के 2 माह बाद दुर्घटना होने के 18 दिन बाद ही मृत्यु हो गयी। जिसके कुछ समय पश्चात् ही अनावेदक ने दूसरा विवाह कर लिया। लेकिन अब तक मृतिका के विवाह के जेवर और सभी सामान अब तक अनावेदक (पति) के कब्जे में है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक मृतिका के दहेज का सामान उसके माता-पिता को देने के लिए तैयार हुआ। आयोग की ओर से काउंसलर नियुक्त किया गया ताकि वह सामान दिलाने में आवेदिका की मदद कर सके।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह पति-पत्नि है और उनका डेढ़ वर्ष का पुत्र है। आवेदिका 8 माह से अपने मायके में रह रही है। आयोग ने समझाईश पर दोनो पति-पत्नि साथ रहने के लिए तैया हुए, साथ ही अनावेदक (पति) प्रति माह आवेदिका को 2000 रू. देगा तथा आज दिनांक को ही काउंसलर की मदद से आवेदिका को अनावेदक(पति) सम्मान पूर्वक अपने घर लेकर जाने को तैयार हुआ। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका का 6 वर्षों तक शारीरिक व आर्थिक शोषण किया। पिछली सुनवाई में अनावेदक द्वारा आवेदिका को 5 लाख रू. देने की बात कही थी, लेकिन अब तक नहीं दिया है। अनावेदक ने आयोग की सुनवाई के एक दिन पूर्व आवेदिका के घर जाकर उसके परिवार को आवेदिका के शारीरिक शोषण के बारे में बताते हुए सुसाईड करने की धमकी दिया व धमकी की आड़ में 5 लाख की जगह 1 लाख रू. देने की बात कहकर आवेदिका को परेशान किया। आयोग द्वारा आवेदिका को निर्देशित किया गया कि वह अनावेदक द्वारा किये गये शारीरिक व आर्थिक शोषण के खिलाफ थाने में जाकर लिखित एफ.आई.आर. कर सकती है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका द्वारा बताया गया कि आवेदिका और अनावेदक का विवाह 15 वर्ष पूर्व हुआ था और उनके दो पुत्र है। अनावेदक (पति) सूरत गुजरात में कार्य करता है और आवेदिका अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है। किंतु अनावेदक द्वारा आवेदिका का चरित्र हनन करने का प्रयास किया जाता है, जिसमें अन्य अनावेदकगण में आवेदिका के पति का सहयोग करते है। गांव से आए तीन गवाहों से पूछताछ किये जाने पर उन्होंने इस मामले को पति-पत्नि का सामान्य झगड़ा बताया। ऐसी दशा में यह स्पष्ट है कि अनावेदकगण आवेदिका को बदनाम कर उसे गांव समाज में प्रताड़ित कर रहे है। सुनवाई के दौरान भी सामूहिक रूप से आवेदिका को प्रताड़ित करते रहे है। इस स्तर पर आयोग ने आवेदिका को समझाईश दिया किया कि महिला आयोग क्षेत्राधिकार में सिपाही के साथ अनावेदकगणों को थाना गोलबाजार भेजने की अनुशंसा किया गया।
एक प्रकरण में उभय पक्ष पति-पत्नि है और उनकी दो संताने है। आयोग की समझाईश पर उभय पक्ष प्रेम से साथ रहने के लिए तैयार हुए। आवेदिका के दोनो बच्चों को आयोग की अध्यक्ष व सदस्यगणों द्वारा अपने पास बुलाकर पूछा गया तो बच्चों ने पिता के शराब पीने की बात कही,  बच्चों ने आयोग के समक्ष अपने पिता से कहा कि ‘‘पापा शराब पीना छोड़ दो‘‘ अनावेदक (पिता) ने भी आयोग के समक्ष अपने बच्चों से वादा किया कि वह भविष्य में शराब नही पीयेगा। इस समझाईश के बाद प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक अन्य मामले में आवेदिका व अनावेदक का विवाह 2023 में सामाजिक रीति-रिवाज से हुआ था। विवाह के कुछ माह बाद से ही दोनो अलग रहे है। दोनो पक्ष आपसी राजीनामा से तलाक लेना चाहते है और अनावेदक पक्ष आवेदिका को एक मुश्त भरण-पोषण की राशि 3 लाख रू. देने हेतु तैयार हुआ और आवेदिका को उसके दहेज का सामान दिलाये जाने में भी आयोग द्वारा मदद किया जायेगा। तलाक कि प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद प्रकरण नस्तीबध्द कर दिया जायेगा।
एक प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने आवेदिका से बिना तलाक लिए अन्य महिला से विवाह चुड़ी पध्दति से कर लिया है। आवेदिका व अनावेदक के 15 वर्ष व 10 वर्ष की दो पुत्रिया है जो आवेदिका के साथ ही रहती है। अनावेदक (पति) का आवेदिका से विधिवत् तलाक नहीं हुआ है फिर भी अनावेदक के विवाह को सभी अनावेदकगणों ने जानबूझ कर सहमति दिया है। आयोग के द्वारा आवेदिका को यह निर्देशित किया गया कि वह अनावेदकगणों के खिलाफ अवैध रूप से दूसरा विवाह करने की सूचना देकर न्यायालय में परिवाद पंजीबध्द कराकर अनावेदक के खिलाफ प्रताड़ना का मामला पंजीबध्द करा सकेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button