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इंटरसेप्टर की पैनी नजर : सामान्य गाड़ी को फरारी समझने वाले सतर्क, तीसरी आंख की नजर से नही बच पाएंगें, 10 हजार कार्रवाई

बिलासपुर। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के दिशा निर्देश एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात रामगोपाल करियारे के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध नियमित रूप से सख्त से सख्त एवं कठोर कार्रवाई की जा रही है।
इसी कड़ी में पुलिस मुख्यालय के द्वारा वाहनों के गति पर नियंत्रण रखने हेतु इंटरसेप्टर वाहन जिले को प्रदान की गई है जिसके द्वारा नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे एवं अन्य सड़कों पर सतत रूप से वाहनों की गति पर पैनी नजर रखी जा रही है इंटरसेप्टर पर इनबिल्ट स्पीडोमीटर अर्थात स्पीड राडार गन कैमेरा के माध्यम से वाहनों की नियत गति से अधिक गति पर तत्काल मॉनिटर करते हुए ऑनलाइन चालानी कार्यवाही धारा 112/183(1) के तहत 1000 रुपये की जुर्माना की जा रही है।
इंटरसेप्टर वाहन जिले के किसी भी क्षेत्र में कभी भी किसी भी सड़क मार्ग पर कहीं भी खड़ी होकर चालानी कार्रवाई को अंजाम दे सकती है यातायात उल्लंघन कर चालानी कार्यवाही से बचने के लिए कितना भी शातिर वाहन चालक एवं चालाक वाहन चालक हो जो यातायात नियमों का उल्लंघन कर सड़कों पर चलते हुए वाहनों के एक्सीलेटर पर बिना नियंत्रण के मनमौजी तरीके से वाहन चलाते हैं और न सिर्फ स्वयं खतरों और जोखिम में होते हैं अपितु अन्य राहगीरों के लिए भी खतरा और जोखिम उत्पन्न करते हैं ऐसे स्टंट बाज और फरारी कार जैसे वाहनों का इस्तेमाल करने वाले वाहन चालकों पर कठोर एवं सख्त कार्रवाई इंटरसेप्टर में लगे स्पीड राडार गन और स्पीडोमीटर द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत धारा 112/183(1)
की जा रही है।
स्पीडोमीटर में इनबिल्ट ब्रीथ एनालाइजर के द्वारा भी निरंतर रूप से शराब एवं नशे की हालत में वाहन चलाने वालों पर निगरानी रखी जा रही है तथा एल्कोमीटर के माध्यम से वाहन चालक की मुंह के दुर्गंध के आधार पर शराब की सेवन की मात्रा का पता कर ली जाती है तत्पश्चात शराब सेवन करके वाहन चलाने वाले वाहन चालक के विरुद्ध एम व्ही एक्ट की धारा 185 के तहत चालानी कार्यवाही करते हुए प्रकरण माननीय न्यायालय भेजी जाती है जिसमें 10000 से लेकर 20000 तक की समन शुल्क के साथ न्यायालयीन प्रक्रियाओं से उन्हें गुजरना पड़ता है इस दौरान यातायात या पुलिस विभाग के द्वारा उक्त वाहन चालक के लाइसेंस निरस्तीकरण का कार्य भी तत्काल की जाती है।
इंटरसेप्टर पेट्रोलिंग टीम के द्वारा वाहनों में लगे हुए अलग-अलग प्रकार के लाइटों की तीव्रता का भी मापन किया जाता है विधिमान्य तीब्रता वाले प्रकाश से अधिक तीव्रता वाले मॉडिफाइड लाइट लगाने वाले वाहन चालकों पर भी सघन एवं कठोर कार्रवाई की जा रही है क्योंकि कई प्रकार की दुर्घटनाएं मॉडिफाइड लाइट लगा करके आंखों को चौंधियाने एवं विचलित करने वाली लाइटों के कारण भी दुर्घटना घटित होने से इनकार नहीं की जा सकती अतः इस हेतु भी लगातार एम व्ही एक्ट की धारा 108 की कार्यवाही जा रही है और समन शुल्क 2000 की चालान की जा रही है।
इंटरसेप्टर वाहन में इनबिल्ट ध्वनि विस्तारक मापक यंत्र के माध्यम से वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न एवं मोडिफाइड साइलेंसर पर सतत निगरानी रखते हुए उक्त वाहन चालकों एवं मालिकों के विरुद्ध लगातार एम व्ही एक्ट की धारा 119(2)/177 की कार्यवाहियां की जा रही है और 300 रुपये की समन शुल्क ली जा रही है साथ ही मोडिफाइड साइलेंसर एवं प्रेशर हॉर्न को तत्काल ही वाहन मालिक के द्वारा स्पॉट पर ही निकलवा दी जाती है एवं दोबारा लगाए जाने पर प्रकरण बनाकर माननीय न्यायालय भेज दी जाती है जहां पर कई बार 5000 से 10000 एवं उससे अधिक राशि की भी फाइन ऐसे व्यक्तियों वाहन चालकों के विरुद्ध माननीय न्यायालय द्वारा की गई है।

आजकल अनेक वाहनों में अपराधियों के द्वारा कई प्रकार के आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का प्रयास किया जाता है और इस दौरान वे वाहनों के खिड़कियों में लगे हुए कांच पर अपारदर्शी ब्लैक फिल्म चिपका कर रखते हैं ताकि उन्हें कोई पहचान ना सके और कैमरे के नजर से भी बच सके इस हेतु लगातार ब्लैक फिल्म लगाकर कांच की पारदर्शिता को अवरोध करने वाले वाहन चालकों एवं वाहन मालिकों के विरुद्ध नियमित रूप से एम व्ही एक्ट की धारा 100/177 के तहत कार्यवाही करते हुए 2000 रुपये की समन शुल्क काटा जाता है और तत्काल ही वाहनों पर लगे हुए ब्लैक फिल्म को यातायात एवं पुलिस विभाग के द्वारा निकलवा ली जा रही है।
इस तरह इंटरसेप्ट वाहन के और उसमें लगे हुए विभिन्न तकनीकी मशीन के माध्यम से लगातार कार्रवाई करते हुए पिछले जुलाई 2024 से लेकर वर्तमान तक 10000 (दस हजार) से ऊपर के प्रकरण बनाते हुए 8000000 (अस्सी लाख रुपये) से अधिक राशि की समन शुल्क जारी कर कार्यवाही की गई है। इसमें से कुछ प्रकरण न्यायालय भेज कर तय गति से अधिक गति में वाहन चलाने वाले पर एवं इंटरसेप्टर के तहत की गई अन्य कार्यवाही में अधिक से अधिक राशि से दंडित किया गया है।

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