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मनुष्य का जीवन पाना दुर्लभ, उससे ज्यादा कठिन है गुणों की प्राप्ति: साध्वी हंसकीर्ति

रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला के दौरान शनिवार को हंसकीर्ति श्रीजी ने कहा कि मनुष्य का शरीर पाना बहुत ही दुर्लभ बात है। लेकिन उससे भी ज़्यादा कठिन है – अच्छे धर्म और सच्चे गुणों को पाना। जैसे चिंतामणि नाम का चमत्कारी रत्न मिलना बहुत मुश्किल होता है, वैसे ही इंसान के जीवन में अच्छे संस्कार और अच्छे गुण मिलना भी बहुत मुश्किल होता है।

आजकल लोग बिना सोचे-समझे किसी के भी सामने झुक जाते हैं। अब सवाल उठता है कि झुकना सही है या गलत? असल बात यह है कि अगर आप अपने मन में विनम्रता रखते हुए किसी के सामने झुकते हैं, तो यह कोई गलत बात नहीं है। यह दिखाता है कि आप सामने वाले को मान-सम्मान दे रहे हैं। लेकिन अगर आप किसी स्वार्थ या डर की वजह से हर किसी के सामने झुकते हैं, तो यह ठीक नहीं है। और अगर आप घमंड में रहेंगे और कभी किसी के सामने नहीं झुकेंगे, तो एक दिन टूट ज़रूर जाएंगे। इसलिए समझदारी इसी में है कि जहाँ ज़रूरी हो, वहाँ झुकें। मगर बिना बात और अपने सम्मान को गिराकर नहीं।

अब इसी बात को एक कहानी से समझते हैं
एक नदी बहुत खुश होकर सागर से मिलने जा रही थी। सागर ने पूछा, “बहन, आज इतनी खुश क्यों हो?”
नदी ने कहा, “मैं कई बार आपसे मिलने आई, लेकिन मेरे रास्ते में एक बड़ा पहाड़ आ जाता था। आज मैंने उस पहाड़ को तोड़कर रास्ता बना लिया, इसलिए मैं बहुत खुश हूँ।”

सागर ने हँसते हुए कहा, “बहुत अच्छा किया। अब तुम मेरे लिए एक छोटा सा काम कर दो। पास के बांस के जंगल से चार बांस तोड़ लाओ।”

नदी वहाँ गई। तेज़ बहाव से बांसों पर जोर डाला। बांस झुके, मगर टूटे नहीं। नदी ने फिर ज़ोर लगाया, फिर भी वही हुआ। कई बार कोशिश की, लेकिन बांस नहीं टूटे। आखिर थककर नदी वापस सागर के पास आई और बोली, “मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन बांस नहीं टूटे।”

सागर मुस्कराया और बोला, “बहन, यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था। जो लोग बहुत घमंडी होते हैं, वो पहाड़ की तरह होते हैं—एक दिन टूट जाते हैं। लेकिन जो लोग विनम्र होते हैं, वो बांस की तरह होते हैं—वो झुकते हैं, लेकिन कभी टूटते नहीं।”

इससे हमें यह सीख मिलती है कि विनम्रता कमजोरी नहीं होती। यह ताकत होती है। जो इंसान समय के साथ थोड़ा झुकना जानता है, वह मुश्किलों से टूटता नहीं। हमें चाहिए कि अपने जीवन में झुकने की समझ और अच्छाई बनाए रखें, क्योंकि यही हमारे जीवन को सफल बनाता है।

आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

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