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कलिंगा विश्वविद्यालय में दो दिवसीय सेव वेंटलेंड मुहिम पर कार्यशाला का सफल आयोजन

कलिंगा विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सी ई ई डी) के तत्वावधान में आर्द्रभूमि बचाओ अभियान के अन्तर्गत दो दिवसीय गोष्ठी और कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें पद्मश्री समाजसेवी किसान और जल आंदोलन से जुड़े उमाशंकर पाण्डेय मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए।

विशिष्ट अतिथि के तौर अरूण कुमार पाण्डेय (आई एफ एस ) कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में श्री प्रभात मिश्रा समाजसेवी, तुषार शर्मा स्टेट हेड छत्तीसगढ़ (सी ई ई डी ) गणमान्य सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए। कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर ने बताया कि कलिंगा विश्वविद्यालय ने छात्रों और समाज के विभिन्न अंगों को पर्यावरण और आर्द्रभूमि के विषय पर जागरूक करने के कई प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि यक्ष और युधिष्ठिर के संवाद भी प्रकृति और मनुष्य के बीच संवाद है। आज भी प्रकृति हमसे कई सवाल पूछ रही है और युधिष्ठिर की तरह हमें गंभीर उनके जवाब देने है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पद्मश्री उमा शंकर पाण्डेय ने अपने जल बचाओ अभियान के बारे में विद्यार्थियों को बताया कि भारत की प्राचीन सभ्यता संस्कृति पानी से जुड़ी हुई है। प्राचीन समय में किलों के ऊपर पहाड़ियों के ऊपर भी हमारे पूर्वजों ने जलाशयों का निर्माण कराया था और वो आज तक ठीक उसी तरीके से काम कर रहे हैं। वर्तमान पीढ़ी को भी जल का उचित और प्रबंधित उपयोग करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी इस जल का उपयोग करती रहें। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हर फसल को उगने से लेकर हमारी थाली तक आने में सैकड़ों लीटर पानी लगता है जो लोग इस भोजन को बर्बाद करते हैं उन्हें ये याद रखना चाहिए कि भोजन के साथ साथ वो उस पानी को भी बर्बाद कर रहे हैं जो किसी पौधे के उगने पर लगा था। हमारी हर औद्योगिक और घरेलू जरूरतों के लिए पानी चाहिए। श्री पाण्डेय ने बताया कि माइक्रोचिप की प्रोसेसिंग में लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है हमारा औद्योगीकरण लगातार बढ़ रहा है और हम पानी का अंधाधुंध और मनमाने तरीके से उपयोग कर रहे हैं। यदि हम सब मिलकर नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियों के साथ साथ हमें भी पानी की कमी से जूझना होगा। श्री पाण्डेय ने कहा कि प्राचीन समय में मेघदूत मेघशाला में भी जल के महत्व का वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को वर्षा जल संचयन की चिंता करनी चाहिए हर साल इतनी बारिश होने के बावजूद भी हमारा भूमिगत जल बढ़ नहीं रहा है।
अरूण कुमार पाण्डेय (आई एफ एस ) ने बताया कि छत्तीसगढ़ समेत देश के सभी जलाशय बेहद अतिक्रमण से गुजर रहे हैं, उन्होंने बताया कि जैव विविधता के लिए तालाबों का होना बहुत जरूरी है क्योंकि पानी की उपलब्धता जलीय जीवों की उपस्थिति सुनिश्चित करती है और जलीय जन्तु की उपलब्धता पक्षियों को दूर सुदूर से आने के आमंत्रित करती है उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जलाशयों में देश विदेश से मध्य एशिया और मंगोलिया क्षेत्र से भी पक्षी आते हैं। उन्होंने बताया कि जलाशय मित्रों और जन सहभागिता से ही महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों का शिकार रोकने के लिए जल मित्र चाहे तो उन्हें काल भी कर सकते हैं और किसी अनैतिक गतिविधि जैसे कि वन्य प्राणियों का शिकार करने वालों की फोटो शेयर भी कर सकते हैं जिससे ऐसे लोगों के ऊपर विधिसम्मत कार्यवाही करके वन्य प्राणियों के जीवन को सुरक्षित किया जा सके।
डॉ. मनोज सिंह, विभागाध्यक्ष जन्तु विज्ञान विभाग ने सभी विद्यार्थियों को जल मित्र बनने कचरा इधर न फेंकने आर्द्रभूमि और जलाशयों की रक्षा करने की शपथ दिलाई।


कार्यक्रम में शामिल हुए प्रभात मिश्रा ने वृक्षों के महत्व पर चर्चा की और बताया कि उन्होंने सिरपुर दलपतसागर बोरिया तालाब आदि जगहों में तालाबों के जीर्णोद्धार का काम किया कई जगह उन्होंने सैकड़ों की संख्या में वृक्ष लगवाये। साथ ही बताया कि व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने इन्हीं लगायें गये वृक्षों की वजह से जाना जाता है।


कार्यक्रम के दूसरे दिन कलिंगा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों समेत पद्म श्री उमाशंकर पाण्डेय सीड के निदेशक तुषार शर्मा एवं प्रभात मिश्रा समाजसेवी ने सेंध झील में सफाई कार्यक्रम में हिस्सा लिया और प्लास्टिक और पालीथीन को इधर उधर न फेंकने का संकल्प लिया। पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय ने इस अवसर पर सभी विद्यार्थियों को अपने और अपने परिवार जनों के जन्मदिन पर पांच-पांच पेड़ लगाने की शपथ दिलाई। छात्रों द्वारा इकट्ठा किया गया कचरा नया रायपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की उपस्थिति में म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की कचङा एकत्रीकरण गाड़ी में डाला गया। अन्त में श्री तुषार शर्मा ने कार्यक्रम में आए सभी विद्यार्थियों शिक्षकों कलिंगा विश्वविद्यालय और गणमान्य अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया
कार्यक्रम का संचालन अभिस्मिता राय ने किया । कार्यक्रम में वनस्पति विज्ञान विभाग और जन्तु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जिनमें डॉ. मनोज सिंह, डॉ. अजय हरित, डॉ. अभिषेक कुमार पाण्डेय, डॉ. दीपा बिस्वास, डॉ. फ़ैज़ बक्स और डॉ. सोहिनी भट्टाचार्य मौजूद रहे।

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