
दिल्ली। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर रिश्वतखोरी में लिप्त मूल्यांकनकर्ता डॉक्टर्स के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। CBI की जांच और गिरफ्तारी के बाद आयोग ने दोषी पाए गए डॉक्टर्स को ब्लैकलिस्ट कर दिया है और संबंधित मेडिकल कॉलेज की आगामी सत्र की सभी मान्यता प्रक्रियाएं रद्द कर दी गईं हैं।
CBI जांच में बड़ा खुलासा, रिश्वत में 10 लाख की डील
मामला मई महीने का है जब CBI ने एक वरिष्ठ मूल्यांकनकर्ता डॉक्टर को कर्नाटक के एक निजी मेडिकल कॉलेज से 10 लाख रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। इस केस में तीन डॉक्टरों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया और पूरे देश में 42 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई, जिनमें छत्तीसगढ़ के श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज, रायपुर का नाम भी सामने आया।
CBI की रिपोर्ट के अनुसार, गिरोह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की निगेटिव रिपोर्ट को पॉजिटिव में बदलवाने के लिए मोटी रकम लेता था। ये मूल्यांकनकर्ता मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से सांठगांठ कर अनुकूल रिपोर्ट तैयार करते थे।
NMC का सख्त फैसला: मान्यता, नई सीटें और कोर्स रद्द
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने दोषी मूल्यांकनकर्ता डॉक्टर्स को ब्लैकलिस्ट किया। संबंधित कॉलेज की 2025-26 सत्र की सभी यूजी/पीजी सीटों का नवीनीकरण रद्द किया। नए कोर्स और सीट वृद्धि के सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया। मूल्यांकन प्रक्रिया रोक दी गई है जब तक जांच पूरी नहीं होती।
कैसे होता है मूल्यांकनकर्ताओं का चयन?
NMC देशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों को यादृच्छिक प्रक्रिया के तहत मूल्यांकन के लिए नियुक्त करता है। ये सदस्य आयोग के लिए स्वैच्छिक रूप से निरीक्षण करते हैं और रिपोर्ट तैयार करते हैं।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस: NMC
आयोग ने साफ कहा है कि वह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करता। यदि कोई डॉक्टर, संस्थान या अधिकारी दोषी पाया जाता है तो NMC के पास यह अधिकार है कि वह आर्थिक जुर्माना लगाए, सीटों में कटौती करे, पाठ्यक्रमों पर रोक लगाए या सरकारी सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की अनुशंसा करे