निवेश की तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते भारतीय शेयर बाजार ने हाल ही में दुनिया के शीर्ष शेयर बाजारों… अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथा स्थान हासिल कर लिया है। कुछ वर्षों से घरेलू निवेशकों का रुझान भारतीय शेयर बाजार की तरफ तेजी से बढ़ा है। कम समय में अधिक रिटर्न पाने की लालसा में सामान्य निवेशक फाइनेंस इन्फ्लुएंसर और एक्सपर्ट की सलाह पर किसी भी कंपनी में अपनी मेहनत की कमाई जोखिम का आकलन किए बिना लगा देते हैं। यह उनके लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहा है।
उधर, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) निवेशकों को फाइनेंस इन्फ्लुएंसर्स और अन्य स्रोतों से मिली सलाह को मानने से पहले रिसर्च करने की बार-बार हिदायत दे रहा है। इसके बावजूद अधिकांश निवेशक समय एवं वित्तीय ज्ञान की कमी के कारण बिजनेस चैनलों और सोशल मीडिया पर दी जा रही सलाह के आधार पर निवेश कर रहे हैं।
इन्फ्लुएंसर्स की बातों में न आएं
फाइनेंस इन्फ्लुएंसर या एक्सपर्ट अपनी राय से लोगों के वित्तीय फैसलों को प्रभावित करते हैं। कुछ इन्फ्लुएंसर्स बड़ा कमीशन लेकर विशेष कंपनी के पक्ष में माहौल बनाते हैं और बड़े मुनाफे का भी सपना दिखाते हैं। इन्हीं सबसे प्रभावित होकर लोग अपना निवेश किसी भी कंपनी में कर देते हैं। बाजार में कुछ लोग कई कंपनियों के शेयर ‘पंप एंड डंप’ कर मोटा मुनाफा बनाते हैं। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान छोटे निवेशकों का होता है।
काउंटर-चेक के बाद ही लें फैसला
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था, 10 में से 6-7 लोग ऐसे हैं, जो किसी और से प्रभावित होकर निवेश सलाह दे रहे हैं। किसी की भी सलाह का ‘काउंटर-चेक’ बेहद जरूरी है। निवेश संबंधी कोई भी फैसला लेने से पहले सवाल पूछने चाहिए।
हर माह खुल रहे 21 लाख डीमैट खाते
हर महीने लगभग 21 लाख नए डीमैट खाते खुल रहे हैं। 31 दिसंबर, 2023 तक देश में डीमैट खाताधारकों की संख्या बढ़कर 13.93 करोड़ पहुंच गई। यह शेयर बाजार के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान का प्रमाण है।