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विश्व पर्यटन दिवस : छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में ज्यादा घूमने वाले पर्यटन स्थल

बिलासपुर। भारत में रेल परिवहन न केवल एक सुविधाजनक यात्रा का साधन है, बल्कि यह देश के विभिन्न हिस्सों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विविधता को भी दर्शाता है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित है और इसके तहत मध्य भारत के साथ-साथ दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में रेल सेवा प्रदान की जाती है । यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व से भरपूर है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे परिक्षेत्र में स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल:
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में कई प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रेलवे ने अनेक सुविधाएं दी हैं ।

अमृत धारा जलप्रपात :- यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया ज़िले में स्थित है । प्रकृति ने इस ज़िले को अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और सँवारा है । यहाँ चारों ओर प्रकृति के मनोरम दृश्य बिखरे पड़े हैं । इन्हीं में से एक ‘अमृतधारा जल प्रपात’ है, जो कि हसदो नदी पर स्थित है । अमृतधारा जल प्रपात एक प्राकृतिक झरना है । यह झरना अनुपपुर-मनेन्द्रगढ़-अम्बिकापुर रेलखंड पर नागपुर रोड स्टेशन के समीप स्थित है ।

चित्रकोट जलप्रपात (छत्तीसगढ़): चित्रकोट जलप्रपात भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है, जिसे छत्तीसगढ़ का “नियाग्रा” भी कहा जाता है । यह बस्तर जिले में इंद्रावती नदी पर स्थित है और पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रायपुर स्टेशन से सड़क माध्यम से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है ।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान :- दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है । यह वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था । इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है । यहां बाघ आसानी से देखा जा सकता है। यह मध्यप्रदेश का एक ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है जो 32 पहाड़ियों से घिरा है । उमरिया स्टेशन बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर अवस्थित है ।

अचानकमार अभ्यारण्य :- अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध अभयारण्यों में से एक है । यहां तेंदुआ, बंगाल टाइगर और जंगली भैंसों जैसे असंख्य लुप्तप्राय प्रजातियां रहती हैं । 557.55 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला यह जंगल, वन्य जीवन की विविधता से भरा है । यह बिलासपुर स्टेशन से 55 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पश्चिम में स्थित है ।

कान्हा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी:– बालाघाट स्टेशन से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर सतपुड़ा पहाड़ियों में मैकाल रैज में स्थित विश्व प्रसिद्ध कान्हा वाल्ड लाइफ सेंचुरी है जो कि 940 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ वन्य जीवों का विशाल अभ्यारण्य है । इस अभ्यारण्य में अन्य पशुओं के अलावा हिरन की अनेक प्रजाजियां, विशेषकर बारासिंघा, काफी संख्या में पायी जाती है । बालाघाट स्टेशन गोंदिया-जबलपुर रेलखंड पर स्थित है ।

अमरकंटक :- नर्मदा नदी का उद्गम स्थल होने के कारण अमरकंटक धार्मिक और प्राकृतिक दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है । यहां का शांत और सुंदर वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है । अमरकंटक बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर स्थित पेंड्रारोड स्टेशन के नजदीक स्थित है ।

पुरखौती मुक्तांगन, नया रायपुर :- पुरखौती मुक्तांगन नया रायपुर स्थित एक पर्यटन केंद्र है । इसका लोकार्पण भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 2006 में किया था । मुक्तांगन 200 एकड़ भूमि पर फैला एक तरह का खुला संग्रहालय है, जहाँ पुरखों की समृद्ध संस्कृति को संजोया गया है । यह परिसर बहुत ही सुंदर ढंग से हमें छतीसगढ़ की लोक-संस्कृति से परिचित करता है । वनवासी जीवन शैली और ग्राम्य जीवन के दर्शन भी यहाँ होते हैं ।

तालागाँव (मूर्तिकला का अनूठा संग्रह) :- तालागाँव बिलासपुर स्टेशन से 30 कि.मी. दूर रायपुर राजमार्ग पर, मनियारी नदी के तट पर स्थित है । तालागाँव में 5वीं सदी का देवरानी जेठानी का एक प्राचीन मंदिर है । यह मंदिर विशिष्ट तल विन्यास, विलक्षण प्रतिमा निरूपण तथा मौलिक अलंकरण की दृष्टि से भारतीय कला जगत में विशेष रूप से चर्चित है । मंदिर में 7 फुट ऊंची और 4 फुट चौड़ी करीब 8 टन वजनी एक अद्भुत प्रतिमा विराजमान है । विभिन्न जीव-जन्तुओं की मुखाकृति से अलंकृत यह प्रतिमा शिव का रौद्र रूप के लिए प्रसिद्ध है ।

माँ बमलेश्वरी – डोंगरगढ़ :- छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित है मां बम्लेश्वरी का भव्य मंदिर । जो डोंगरगढ़ स्टेशन से ही पूरी तरह दिखाई देती है । मां बमलेश्‍वरी छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में खूबसूरत हरी भरी वादियों और झील के किनारे विराजती हैं । उन्हें मां बगलामुखी का रूप माना जाता है । डोंगरगढ़ स्टेशन बिलासपुर-नागपुर रेलखंड पर स्थित है ।

रतनपुर (महामाया देवी शक्तिपीठ) :- मनोरम पहाडियों के बीच स्थित रतनपुर कल्चुरी काल में प्राचीन छत्तीसगढ की राजधानी रही है । यह राष्ट्रीय राजमार्ग 200 पर बिलासपुर स्टेशन से 25 किमी की दूरी पर स्थित है । इसे मंदिरों एवं तालाबों की नगरी भी कहा जाता है । 11वीं सदी में राजा रत्नदेव द्वारा निर्मित दिव्य एवं भव्य महामाया मंदिर दर्शनीय है । यहां बाबा ज्ञानगिरी द्वारा निर्मित श्री कालभैरव मंदिर में कालभैरव की 9 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा विराजमान है ।

चैतुरगढ (लाफा) :- चैतुरगढ़ छत्तीसगढ़ के 36 किलों में से एक किला है । इसे लाफागढ़ के नाम से भी जाना जाता है । यह कोरबा बिलासपुर मार्ग पर पाली से 25 किमी की दूरी पर स्थित है । चैतुरगढ़ (लाफागढ़) मैकल पर्वत श्रृंखला में पहाड़ी के ऊपर 3060 फीट की ऊंचाई पर स्थित है । यह मजबूत प्राकृतिक दीवारों से घिरा हुआ एक प्राकृतिक किला है । इस किले का निर्माण कल्चुरी राजा पृथ्वीदेव द्वारा किया गया है ।

पर्यटन के लिए रेलवे द्वारा सुविधाएं:
रेलवे द्वारा पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष अवसरों पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के लिए जैसे पुजा एवं छुट्टियों आदि के दौरान स्पेशल गाड़ियां चलाने के साथ अतिरिक्त कोच आदि भी लगाए जाते है, जिनमें यात्रियों को आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलता है । इसके साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले प्रमुख पर्यटन स्थलों के रेलवे स्टेशनों को आधुनिक यात्री सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे परिक्षेत्र के अंतर्गत पर्यटन के बढ़ते विकास ने क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं । स्टेशनों पर ‘वन स्टेशन वन प्रॉडक्ट’ के स्टाल की स्थापना से स्थानीय हस्तशिल्प, सांस्कृतिक प्रदर्शन और स्थानीय खानपान के प्रचार-प्रसार होने से भी पर्यटन क्षेत्र में विकास हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ मिल रहा है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे न केवल क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा दे रहा हैं, बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण बन रहे स्थानीय पर्यटन केन्द्रों पर रेल सुविधाएं उपलब्ध कराकर पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाते हुए इस क्षेत्र को एक प्रमुख पर्यटन हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं ।

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