
हैदराबाद। भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी एनएमडीसी अपने परिवर्तन एवं नवाचार विभाग की पहली वर्षगांठ मना रहा है, जिसकी स्थापना 4 नवंबर, 2024 को हुई थी। उद्देश्य था- रणनीतिक परियोजनाओं में तेजी लाना, नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करना और तेजी से बदलते औद्योगिक परिदृश्य में अनुकूलता सुनिश्चित करना।
मात्र 12 महीने की अल्प अवधि में ही यह विभाग एक प्रेरक शक्ति बन गया है, जिसने पहली बार भारत के खनन उद्योग में कई अत्याधुनिक तकनीकों को लागू किया है। रणनीतिक पहलों को गति देने और एनएमडीसी की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को मजबूत करने के उद्देश्य से गठित इस विभाग ने महत्वाकांक्षा और क्रियान्वयन के बीच की खाई को सफलतापूर्वक पाट दिया है। इससे यह भी सुनिश्चित हुआ है कि संगठन वैश्विक खनन उद्योग की बदलती परिस्थितियों के प्रति उत्तरदायी बना रहे।
एनएमडीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अमिताभ मुखर्जी ने कहा- “हमारा पहला वर्ष सीखने, नवाचार और परिवर्तन को समर्पित रहा है।” श्री मुखर्जी ने कहा- “टी एंड आई विभाग की स्थापना के माध्यम से, हमने एनएमडीसी के भविष्य की नींव रखी, एक ऐसा भविष्य जो खनन के तरीके को बदल दे, चुस्त, तकनीक आधारित और उद्देश्य-संचालित। पिछले एक वर्ष में हमने न केवल बदलाव को लागू किया है, बल्कि उसे प्रेरित भी किया है।” सीएमडी ने कहा- “आगे बढ़ते हुए हमारा ध्यान स्पष्ट है, नवाचार के माध्यम से एनएमडीसी की वृद्धि को गति देना, भारत की औद्योगिक प्रगति में अपनी भूमिका को मजबूत करना, साथ ही यह परिभाषित करना कि एक उत्तरदायित्वपूर्ण खनन क्या हासिल कर सकता है।”
प्रथम वर्ष में विभाग ने ठोस प्रगति की छाप छोड़ी है। इसने कई प्रमुख कार्य सफलतापूर्वक पूरे किए हैं, जिनमें एनएमडीसी पार्टनरशिप पॉलिसी (एनपीपी) के तहत राजस्व साझा आधार पर दोणिमलै पेलेट प्लांट का संचालन, डिजिटल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का कार्यान्वयन, दोणिमलै मे हीं डस्ट फेंसिंग और बचेली में 190 टन डंपर के लिए इन-पिट क्रशिंग एंड कन्वेइंग सिस्टम के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की तैयारी शामिल है। इसके अलावा, सभी उत्पादन इकाईयों में ऑटोमेटिक सैंपलिंग सिस्टम का कार्यान्वयन भी प्रगति पर है। ये सभी पहलें एनएमडीसी की संचालन दक्षता, सुस्थिरता और तकनीकी उत्कृष्टता को सशक्त बनाने पर केन्द्रित हैं।
कई अन्य परियोजनाएं अब अंतिम चरण में हैं। किरंदुल स्थित एसपी-3 में स्टॉकपाइल मैनेजमेंट एवं स्टैकर और रिक्लेमर रिमोट ऑपरेशन तथा दोणिमलै में इन-पिट मॉड्यूलर क्रशिंग एवं कन्वेइंग सिस्टम जैसी परियोजनाएं भी पूरा होने के करीब हैं। वहीं विशाखापट्टनम में 20 एमटीपीए बफर स्टॉकपाइल एवं ब्लेंडिंग यार्ड के केन्द्रीय प्रयोगशाला हेतु ऑटोमेटिक सैंपल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम और रेवन्यू शेयरिंग बेसिस पर पलवंचा स्थित स्पंज आयरन यूनिट का उत्पादन सहित पटनचेरु में कार्पोरेट कार्यालय एवं आवासीय परिसर और किरंदुल में 2 एमपीटीए बेनेफिशिएशन प्लांट का कार्य भी अंतिम चरण में है।
विभाग का लक्ष्य अपनी प्रगति की रफ्तार को बनाए रखते हुए कम उपयोग में आने वाली परिसंपत्तियों का पुनःसंचालन और अगली पीढ़ी की तकनीकों का एकीकरण करना है, ताकि उत्पादन क्षमता और दक्षता में वृद्धि हो सके। आने वाले वर्षों के लिए विभाग का फोकस यह सुनिश्चित करना रहेगा कि हर रणनीतिक कदम एक मजबूत, स्मार्ट और अधिक सुस्थिर एनएमडीसी के निर्माण में योगदान दे। जैसे ही विभाग अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ‘एनएमडीसी 2.0 युग’ की शुरुआत का संकेत दे रही है-एक ऐसा युग, जो तकनीक, मानव संसाधन और उद्देश्य के माध्यम से खनन को नए सिरे से परिभाषित करेगा और भारत में जिम्मेदार एवं नवाचारी खनन के नए मानक स्थापित करेगा।





