
लगाए गए पौधों की सुरक्षा का लिया गया संकल्प
रायपुर। “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत आज बोरियाकला हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रेरणादायक कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता को जन-जन तक पहुंचाने का संदेश दिया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों, समाजसेवियों तथा कॉलोनीवासियों की सक्रिय भागीदारी रही।
प्रकृति से प्रेम और पर्यावरण के संरक्षण को समर्पित, ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत आयोजित यह कार्यक्रम न केवल पौधारोपण का एक अवसर था, बल्कि पर्यावरण के प्रति जन-जागरूकता, सामुदायिक सहभागिता और मातृ-सम्मान का जीवंत उदाहरण भी बना।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोकप्रिय विधायक एवं बस्तर विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष लता उसेंडी, विधायक अंबिका मरकाम एवं छत्तीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी ने प्रमुख रूप से भाग लेते हुए पौधारोपण कर पर्यावरण-संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “एक पेड़, न सिर्फ ऑक्सीजन देता है बल्कि हमारी अगली पीढ़ियों के लिए जीवनदायी धरोहर है। इसे मां के नाम समर्पित करना हमारी भावनाओं को प्रकृति से जोड़ने का सुंदर प्रयास है।”
इस अभियान के अंतर्गत छायादार एवं फलदार पौधों का रोपण किया गया, जिनमें पीपल, नीम, आम, आँवला,जामुन, और गुलमोहर ,सोन पत्ता प्रमुख हैं। सभी उपस्थितजनों ने न केवल पौधे लगाए बल्कि उनकी देखभाल और संरक्षण का भी संकल्प लिया।
इस अवसर पर ग्रीन्सविले बोरियाकला रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी की सक्रिय भूमिका रही। सोसाइटी के अध्यक्ष देवता दिन दुबे, उपाध्यक्ष प्रदीप उपाध्यक्ष, सचिव लक्ष्मीकांत कोसरिया, संगठन सचिव राकेश दास वैष्णव, कोषाध्यक्ष राजेश द्विवेदी, सह सचिव सोहन ठाकुर सहित सोसाइटी के अन्य सदस्य कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के संरक्षक राजीव माथुर वरिष्ठ सदस्य सुशील द्विवेदी, वीरेंद्र द्विवेदी, अवस्थी, दिलीप शर्मा, के बी ई राव,राहुल सिंह कुशवाह, दिलीप मंडल, अनिल राय, धीरेंद्र तिवारी,प्रखर शर्मा,कुंदन शर्मा एव राधा द्विवेदी, सविता दास वैष्णव, द्विवेदी शर्मा और तिवारी मैडम की उल्लेखनीय सहभागिता रही।
हाउसिंग बोर्ड के ई.ई. श्री नितेश कश्यप एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की भी सराहनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कॉलोनीवासियों की भागीदारी ने इसे एक जन-आंदोलन का रूप दिया।
कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल वृक्षारोपण करना था, बल्कि पौधों की निरंतर देखभाल और संरक्षण की जिम्मेदारी उठाने का भाव भी जनमानस में स्थापित करना था।