
दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कौटिल्य (प्राचीन भारत के महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और रणनीतिकार) के दर्शन को व्यवहार में उतारा है। श्री धनखड़ ने कहा कि कौटिल्य की विचार प्रक्रिया शासन के प्रत्येक पहलू के लिए एक प्रकार का ग्रंथ है जिसमें शासन कला, सुरक्षा, राजा की भूमिका – जो अब निर्वाचित व्यक्ति है, सबका वर्णन है। बहुध्रुवीय विश्व में बदलते गठजोड़ – रातों-रात बदल जाने वाली अवधारणा, गठबंधन के मामले में भी यही देखा जा सकता है। कौटिल्य ने तभी यह कल्पना कर ली थी कि यह हमेशा परिवर्तनकारी रहेगा। उपराष्ट्रपति ने कौटिल्य को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘पड़ोसी देश शत्रु होता है और शत्रु का शत्रु मित्र होता है। उन्होंने कहा कि यह भारत से बेहतर कौन जानता है? हम हमेशा वैश्विक शांति, विश्व बंधुत्व और विश्व कल्याण में विश्वास करते रहे हैं।
श्री धनखड़ ने आज नई दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन के कौटिल्य फेलो के साथ संवाद करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री एक महान दूरदर्शी नेता हैं जो वृहद स्तर पर काम करने में विश्वास करते हैं। उनका विश्वास व्यापक सकारात्मक बदलाव लाने में हैं जो एक दशक के उनके शासन के उपरान्त बिल्कुल स्पष्ट दिख रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कई दशकों के लंबे अंतराल के बाद हमारे पास लगातार तीसरे कार्यकाल में भविष्य दृष्टि वाला ऐसा प्रधानमंत्री मौजूद है। सकारात्मक परिवर्तनकारी बदलाव की यही सबसे बड़ी वजह है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौटिल्य इस बात पर बहुत बल देते थे कि लोकतंत्र भागीदारीमूलक होनी चाहिए; विकास में भी सबकी भागीदारी होनी चाहिए। कौटिल्य ने राष्ट्र के उत्थान में व्यक्तियों के योगदान पर बहुत बल दिया था। एक राष्ट्र की पहचान शिष्टाचार, अनुशासन से होती है – जो स्वभाव से व्यक्तिपरक होता है। उपराष्ट्रपति ने कौटिल्य को उद्धृत करते हुए कहा कि जिस तरह एक पहिया गाड़ी को अकेले नहीं चला सकता उसी प्रकार प्रशासन भी एकल रूप से नहीं चलाया जा सकता।
श्री धनखड़ ने इसका उल्लेख किया कि कैसे ये लोकाचार समकालीन शासन में भी परिलक्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि इस देश में अभिनव सोच और कार्यव्यवहार वाला प्रशासन है। उन्होंने कहा कि जब हमारे देश में कुछ जिले उत्कृष्टता मानक पर पिछड़ रहे थे और नौकरशाह भी उन क्षेत्रों में जाने का प्रयास नहीं करते थे तब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उन जिलों को एक नया नाम दिया – आकांक्षी जिले। अब वही ‘आकांक्षी जिले’ विकास में अग्रणी बन गए हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी को आभास हुआ कि लोग महानगरों की ओर जा रहे हैं तो उन्हें लगा कि द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों को भी आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनाना चाहिए। उन्होंने स्मार्ट सिटी की संरचनात्मक परिकल्पना तैयार कर दी। स्मार्ट सिटी बुनियादी ढांचे या परिष्कृत रूचिगत सौन्दर्य के संदर्भ में नहीं है। ये निवासियों, उद्यमियों, विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित हैं।
सत्ता और शासन के मूलभूत सिद्धांतों पर विचार करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता सीमाओं से परिभाषित होती है। लोकतंत्र तभी विकसित होता है जब हम सत्ता की सीमाओं के प्रति हमेशा सजग रहते हैं। उन्होंने कहा कि कौटिल्य के दर्शन में गहराई से उतरने पर हम पाते हैं कि यह सब केवल लोक कल्याण पर केंद्रित है जो शासन का अमृत है।