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Shree Ram मंदिर बंद होने का फैला रहे भ्रम, प्रतिदिन हो रही रामलला की पूजा…

शांति भंग करने का प्रयास कर रहे लोगों पर होगी कार्रवाई : समिति

रायपुर (cgvarta.com). राजधानी में चंदखुरी से लगे करीब 3 किलोमीटर दूर ग्राम मोहदी (जावा) में स्थित श्रीराम चंद्र स्वामी मंदिर (Shree Ram) में भगवान श्रीराम चंद्र (Shree Ram) को वर्षों से ताले में कैद होने की बात कहकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं। जिस पर समिति के अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी ने बताया, समिति द्वारा नियुक्त नए सेवादार प्रतिदिन रामलला Shree Ram की पूजा कर रहे हैं।

दादा की हुई थी Shree Ram मंदिर में सेवादार के पद पर नियुक्ति

उन्होंने जानकारी दी कि मंदिर में सेवादार के रूप में केजू प्रसाद दुबे के दादा कंवल प्रदेश दुबे की नियुक्ति मंदिर के मुख्य ट्रस्टी स्व. झुमुकलाल तिवारी द्वारा करीब वर्ष 1950 के पूर्व की गई थी। उनकी मृत्यु के बाद कंवल प्रसाद दुबे के सुपुत्र बल्लू प्रसाद दुबे ट्रस्टी को संज्ञान में दिए बगैर ही सर्वराकार के रूप में नियुक्त हो गए, इसी तरह केजू प्रसाद दुबे भी मुख्य ट्रस्टी की मृत्यु के बाद उनके परिजनों की सहमति के बगैर ही सर्वराकार नियुक्त हो गए।

दादा और पिता की मृत्यु के बाद केजू ने की जमीन निजी तौर पर हथियाने की कोशिश

Shree Ram समिति के अध्यक्ष ने बताया, जब इसकी जानकारी मुख्य ट्रस्टी के परिजनों को मिली तब, भगवान श्रीराम चंद्र स्वामी Shree Ram के नाम पर दर्ज भूमि स्वामी हक़ की जमीन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए श्रीराम Shree Ram जानकी जनकल्याण समिति का गठन रजिस्ट्रार, फर्म्स एवं सोसाइटी के आदेश पर वर्ष 2015 में किया गया।

केजू प्रसाद दुबे भगवान के नाम पर दर्ज भूमि को सर्वराकार के रूप में अपना नाम दर्ज करवाने के बाद राजस्व विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों से मिलीभगत कर अपने निजी नाम पर दर्ज करवाने का प्रयास कर रहा था। जिसे आगे चलकर अपने दो सुपुत्रों को बांटने की साजिश थी।

नए सेवादार की नियुक्ति के पूर्व समिति ने दिया था प्रस्ताव

इसी समय समिति की प्रथम सामान्य सभा में मंदिर के सेवादार केजू प्रसाद दुबे को वेतनमान पर कार्य करने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे केजू प्रसाद दुबे ने निरस्त कर दिया। इसके बाद समिति ने नए सेवादार की नियुक्ति मंदिर में पूजा पाठ करने के लिए की। जो वर्तमान में भी लागू है।

ग्राम सभा प्रमुख डेरहा प्रसाद की भूमिका संदिग्ध

इसके साथ ही ग्राम सभा प्रमुख डेरहा राम वर्मा, रामचंद वर्मा, कृपाराम वर्मा, किसुन निर्मलकर भी भूमिका इस निजी स्वामित्व पर सार्वजनिक बयान बाजी से प्रति संदिग्ध है। सूत्रों के अनुसार इस भूमि का निजी लाभ केजू प्रसाद दुबे से ग्राम सभा प्रमुख डेरहा राम वर्मा, रामचंद वर्मा, कृपाराम वर्मा और किसुन निर्मलकर अनाधिकृत रूप से प्राप्त कर रहे थे। इसलिए भूमि समिति के नाम पर दर्ज होने की आपत्ति बार-बार जताकर प्रशासन को भ्रमित कर रहे हैं।

इस आदेश के बाद निजी स्वार्थ की पूर्ति नहीं होने से विक्षिप्त केजू प्रसाद दुबे अपने साथियों के साथ समिति का नाम बदनाम करने की नियत से प्रशासन को भ्रमित कर रहा है। समिति जल्द ही विधिक सलाह लेकर केजू प्रसाद दुबे और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की कार्रवाई करेगी। इसके साथ ही केजू प्रसाद दुबे ने मंदिर के स्वामित्व वाली भूमि का मुआवजा भी बिना कलेक्टर की अनुमति के स्वयं आहरित कर लिया है।

न्यायालय ने सभी तथ्यों की जांच के बाद किया आदेश

न्यायालय तहसीलदार, खरोरा केके साहू ने समिति के आवेदन पर लगातार सुनवाई की। सुनवाई के दौरान समिति की ओर से दिए गए साक्ष्यों का अवलोकन किया। साक्ष्यों के सत्यापन और भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के तहत (श्रीराम जानकी जनकल्याण समिति के नाम पर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का आदेश जारी किया।

मंदिर की भूमि और मंदिर पर प्रारम्भ से ही ट्रस्टी और उनके परिजनों का आधिपत्य है। तहसीलदार केके साहू ने विधि सम्मत आदेश जारी कर भूमि को सुरक्षित किया है।

(उपरोक्त समाचार का प्रकाशन तथ्यों के आधार पर किया गया है। सभी तथ्य Cgvarta.com के पास सुरक्षित है।)

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